मेरी डायमंड ग्रह की अनोखी यात्रा - 1 Hareesh Kumar Sharma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी डायमंड ग्रह की अनोखी यात्रा - 1

नमस्कार दोस्तों, आप सभी का मेरी एक नयी कथा श्रेणी में स्वागत है। तो चलिए शुरू करते हैं आज का एक रोमांचक सफ़र ।


एक दिन, मैैं बाजार से सामान खरीदने के बाद अपने घर की तरफ लौट रहा था, तभी रास्ते में मैंने एक दुकान में ब्रह्मांड का मॉडल रखा हुआ देखा। और मैं उस मॉडल को नजदीक से देखने के लिए उसके पास गया तो उसमें साफ-साफ सुुुुर्य , शुक्र , मंगल , पृथ्वी और भी बहुत सारे ग्रह दिख रहे थे। मैं उस मॉडल को देखकर ये सोचने लगा कि यार इतने सारे ग्रह किसने खोजे होंगे। वो इंसान कितना भाग्यशाली होगा।काश मैं भी कोई इसी प्रकार का ग्रह खोज पाता, और मैं यही सोचता हुआ अपने घर चला गया। फिर रात को मैं खाना खाने के बाद अपने भाई के साथ अपने कमरे में जाकर सो गया। और फिर शुरू हुआ मेेेरा एक रोमांचक सफ़र, मुझे सतीश धवन अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र कोटा दक्षिण भारत से (Mark- GSLV 6th जेनरेशन) अंतरिक्षयान द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाना था। मैं एक बड़े से कमरे में बैठा हुआ था, वहां बहुत सारे लोगों ने मुझे चारों ओर से घेरा हुआ था । सभी मेरा उत्साह वर्धन कर रहे थे, और कुछ लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। मैं बहुत उत्साहित था कि कब काउन्ट-डाउन शुरू हो और कब मैं जाकर अंतरिक्षयान में बैठुंं। कुछ देर बाद काउन्ट-डाउन शुरू हो गया मुझे कुछ लोग अंतरिक्षयान में बिठाने के बाद सभी मुुझे अकेला छोड़कर चले गए। 3 घंटे का काउन्ट-डाउन खत्म होने के बाद कंट्रोल रूम से गियर दबाने का आदेश आया। और मैं सभी लोगों की शुभकामनाओं के साथ अंंतरिक्ष की तरफ बढ़ चला। कुछ देर बाद मैं अपने अंंतरिक्षयान के साथ पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करने में सफल रहा। तभी मुझे कंट्रोल रूम से शुभकामनाओं के संदेश आये । लगभग 8 घंटे तक मैं पृथ्वी की कक्षा में भ्रमण करने के बाद में मैं पहले से सुनिश्चित मार्ग पर अग्रसर होने लगा । मैंने उस मार्ग में अनेक सुंदर और विशाल ग्रहों को देेखा लेकिन उनमें से कोई भी ग्रह जीवन के लिए उचित नहीं था, क्योंकि किसी ग्रह पर तो बिल्कुल भी पानी नहीं था और किसी पर हद से भी बहुत ज्यादा । मुझे अंंरिक्षत में इसी तरह 6 महीने गुजर चुके थे। लेकिन अभी तक भी मुुुझे को सफलता हासिल नहीं हुई थी। मैं अब वापस पृथ्वी की तरफ लौट रहा था कि अचानक किसी विशाल black hole के आकर्षण बल ने मेेेरे अंतरिक्षयान को अपनी ओर खींच लिया। इससे पहले मैं कुछ समझ पाता मैं black hole में फस चुका था। फिर मुझे कुछ पता नहीं रहा कि मैं कहां हूं? और कहां जा रहा हूं? कंट्रोल रूम से भी मेेेेरा संपर्क टूट गया था । मैं थोड़ी ही देर में बेेेहोश हो गया। और फिर जब मुझे होश आया तो मेरा ध्यान मेेेरे कैलेंडर की तरफ गया तो उसके अनुसार 2 महीने से मैं उस black hole में था। मैंने तुरंत बाहर की ओर देखा तो मैं किसी विशाल सिसे पर पड़ा था। मेरे सिर पर और दाहिनें पैैर पर चोट लगी थी, मैं ठीक से अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा-रहा था। लेकिन मैं हिम्मत करके खड़ा हुआ और बारह की तरफ निकला। लेकिन मैंने जो बाहर देेेखा मैं उसे देखकर दंग रह गया। मैंने बाहर देेेखा कि वहां पर सैैकडों की संख्या में सैनिक खड़े हुए थे। मैं ये सोचने लगा कि कहीं पुराने जमाने के भारत में तो नहीं आ गया हूं। क्योंकि यार ऐसे सैनिक तो भारत में पुराने जमाने में हुआ करते थे। लेकिन मैं तब चौंक गया जब वो लोग भी हिन्दी भाषा बोलने लगे। मैं खुशी से झूम उठा और चिखकर बोला - " ये हे, मैं पृथ्वी पर वापस आ गया"। तो उनमें से एक सैनिक धीरे से अपने साथी सैनिक से बोला - " ये पागल है क्या? और ये पृथ्वी क्या चीज है? " । फिर दूसरे सैनिक ने भी धीरे से उसको ज़वाब दिया -" अबे , मैं भी तो तेरे ही साथ रहता हूं। मुझे क्या पता? पृथ्वी क्या चीज है?" । लेकिन मैंने उनकी बातें सुन लीं। मैं एकदम से चुप हो गया और मैंने उनसे पूछा कि भाई ये कौन-सी जगह है? और यहां पर धरती पर ये कैसा डायमंंड जैसा सिसा बिछाया हुआ है? वो लोग मेरी बातें सुनकर दंग रह गए। उन्होंने मुझे बताया कि मैं डायमंड ग्रह पर हूं। मैं ये सुनकर ना तो खुुश था और ना ही दुखी । दुखी मैं इसलिए नहीं था क्योंकि मैं कहीं तो पहुंचा जीवित तो हूं । और खुश मैं इसलिए नहीं था कि मैं अंतरिक्ष में खो चुका हूं अब पता नहीं कि मैं कभी अपने घर लौट भी पाऊंगा या नहीं। लेकिन मैं तुरंत अपने अंतरिक्षयान की तरफ भागा और मैंने उसे स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन अंतरिक्षयान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और उसका फ्यूूल भी खत्म हो गया था। मैं बहुत निराश हुआ। लेकिन अब वहां के लोगों से मदद लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। इसलिए मैं निराशापूर्ण वापस बाहर आया वे सभी सैैैनिक वहीं पर खड़े हुए थे। मैं उनके पास गया और मैंने उनसे बताया कि मैं पृथ्वी ग्रह से आया हूं। मैं रास्ता भटकने के कारण आपके ग्रह पर आ गया हूं। क्या आप लोग मेरे अंतरिक्षयान के लिए फ्यूल दे सकते हो? लेकिन उन लोगों को अंतरिक्षयान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। तो लोग मुझे अपने राजा के पास लेकर गए । वो लोग मुझे उनके व्यवहार से बहुत ही सज्जन लगे इसलिए मैं उन लोगों के साथ चुपचाप-से चला गया। कि ना जाने किसी प्रकार की मदद मिल जाए। मैं उनके राजा के पास पहुंचा और उनको मैंने अपने बारे में सब कुछ बताया। तो राजा ने सबसे पहले अपना नाम बताया कि -" मेेरा नाम जॉजफ है। और मैं यहां का राजा हूं।" फिर राजा ने मुझसे सहानुभूति जताते हुए कहा कि -" आप निश्चिंत रहें हम आपकी हर संभव मदद करेंगे लेकिन आप उससे पहले कुछ खा लिजिए उसके बाद बात करतें हैं।" मैं ये सुनकर खुश हुआ कि चलो इन्होंने खाने के बारे में तो पुुुंछा, वैसे भी मैं 2 महीनों के बाद बेेहोसी से बाहर आया था तो भूख भी बहुत लगी थी। मैंने कहा ठीक है । वहां के लोग बहुत कमजोर थे देखने में तो वो लोग इंसानों की ही तरह थे। लेकिन खाने की एक छोटी-सी थाली को 4-5 लोग उठा कर ला रहे थे। तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हो कि वो लोग कितने कमजोर थे। लेकिन फिर भी वो लोग मेरे लिए अनेकों प्रकार के लजीज और स्वादिष्ट भोजन लाए। मैंने भी पेट भरके खाना खाया फिर मैं वहां से उठा और राजा के पास गया। मैंने राजा जॉजफ का सुक्रिया किया और फिर राजा से मैंने वापस अपने ग्रह आने के लिए फ्यूल की मदद मांगी। लेकिन राजा ने मुझसे कहा कि -" हम आपसे क्षमा चाहेंगे लेकिन हम फ्यूूल क्या होता है? ये कैसे बनता है? हममें से कोई भी नहीं जानता है । मैं ये सुनकर बहुत निराश हुआ । और अब मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी कि " मेरे दादाजी मुझसे कहते थे कि बेटा पढ़ाई-लिखाई बहुत जरूरी है नहीं तो तुम बाकी दुनिया से पीछे रह जाओगे" , और आज मुझे उन लोगों को देेखकर इस बात का मतलब समझ आ-रहा था। मैं कुछ दिनों तक वहां ऐसे ही घुमता रहा, और जल्दी ही मैं उन सभी में अच्छी तरह से घुल-मिल गया था। लेकिन एक दिन मैं सोचने लगा कि यार जब मैं अंतरिक्ष यात्रा कर सकता हूं तो मैं इन लोगों को भी तो पढ़ा सकता हूं , जिससे ये लोग भी अंतरिक्ष यात्रा कर सके । इन लोगों को भी इस ब्रह्मांड को जानना चाहिए । मैं यही बात लेकर राजा जॉजफ के पास गया और उनसे अपनी बात कही। राजा जॉजफ ये बात सुनकर बहुत खुश हुए। राजा जॉजफ ने मुझसे कहा कि आप यदि ऐसा करना चाहते हैं तो ये हमारे लिए खुशी की बात है। फिर मैंने भी ठान लिया कि अब मैैं यहां के लोगों को शिक्षा दुगां लेकिन-लेकिन हर बार हिरो बनने से पहले विलन आता है, वैसे ही यहां भी हो गया। जब उनके पड़ोसी राज्य के राजा को मेेेेरे बारे में पता चला तो वो मुझे बन्दी बनाकर अपने राज्य में रखना चाहते थे , लेकिन वो लोग नहीं जानते थे कि मैैं एक इंसान हूं। मैं उनकी तरह कमजोर नहीं हूं मैं अकेला ही उनकी सारी सेना पर भारी हूं। पर भैैया विलन तो विलन होता है । और वैसे भी विलन का दिमाग़ी संतुलन थोड़ा कमजोर होता है‌ तभी तो हीरो के बारे में जानें बिना-ही हीरो को छेड़ देता है। और यहां हीरो मैैं था। उनके पड़ोसी राजा ने राजा जॉजफ को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने लिखा था ," कि या तो आप उस परग्राही हमें सौंप दो नहीं तो हम आपके राज्य पर अपनी विशाल सेना के साथ आक्रमण कर देंगे ।" ये पत्र पढ़ने के बाद राजा जॉजफ डर गये। क्योंकि राजा जॉजफ का राज्य दुश्मन राज्य की अपेक्षा कमजोर था। राजा जॉजफ ने तुरंत मुझे अपने पास बुलाया और अपने दुश्मन राज्य की धमकी के बारे में मुझे बताया। लेकिन मैं इस बात को सुनकर बिल्कुल भी परेेशान नहीं हुआ और मुझे हसी आ गई। राजा जॉजफ मुझे हसता हुआ देेखकर सोच में पड़ गये। राजा जॉजफ ने मुझसे पूछा कि आप हस क्यों रहे हो। मैंने राजा जॉजफ से कहा कि ,"आप चिंता ना कीजिए , ये सब आप मुुझपर छोड़ दीजिए।" तब तक राजा जॉजफ को भी इंसानों की ताक़त का अंदाजा नहीं था। राजा जॉजफ बोले कि आप हमारे दुश्मन को नहीं जानते वो बहुत शक्तिशाली और क्रूर है। मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सब संभाल लुंगा , आप निश्चिंत रहें। राजा जॉजफ सोच में पड़ गये और मैं वहां से हसता हुआ चला गया । लेकिन मैं वहां के लोग और बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान ( Space Science ) पढ़ाने लगा । फिर कुछ दिनों तक सब ऐसे ही चलता रहा । लेकिन एक दिन अचानक एक सैनिक दौड़ता हुआ मेरे पास आया । मैं हंसते हुए सैनिक से कहा ,"भाई आराम से। क्या हुआ ऐसे कहां से भागे आ रहे हो?" सैनिक ने मुझसे कहा कि हमारे दुश्मन राज्य की सेना हमारे राज्य की तरफ अक्रमण के लिए आ रही है। मैंने कहा कि कोई बात नहीं मैैं उन्हें अभी समझाकर आता हूं। आप लोग चिंता मत करो, रुको मैं अभी वहां जाकर देखता हूं। और यह कहकर मैं राज्य की राज सीमा की तरफ चल दिया। और वो सैनिक राजा जॉजफ के पास इस सुचना को देने के लिए चला गया । सैनिक ने राजा जॉजफ के पास जाकर उन्हें मेरे बारे में बताया कि मैं उनके दुश्मन राज्य की सेना से मुकाबला करने के लिए अकेला गया हूं । राजा जॉजफ ने अपने सैनिक को डांटते हुए कहा कि वो अकेले इतनी बड़ी सेना का मुकाबला कैसे करेेेगा। इसलिए अभी अपनी सारी सेना तैयार करो युद्ध के लिए। यह सुनकर सैनिक वहां से सेनापति के पास गया और उन्हें राजा जॉजफ का आदेश बताया । सेनापति ने तुरंत सारी सेना को आदेश दिया कि सभी जल्द से जल्द युद्ध के लिए तैयार हों ।



अब आगे क्या हुआ? युद्ध हुआ या नहीं हुआ? अगर हुआ तो कौन जीता? क्या मुझे बन्दी बना लिया या नहीं? ये जानगें पार्ट-2 में तो अभी के लिए नमस्कार।


© हरीश कुमार शर्मा